धारा - 1 संस्था का नामः-
इस संस्था का नाम "मेघवाल समाज संघ (रजि)" होगा जो संक्षिप्त में मेघवाल
महासंघ भी कहलायेगा।
धारा - 2 संस्था का पंजीकृत कार्यालयः-
इस संस्था का प्रधान कार्यालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रहेगा जो वर्तमान
में मकान नं. जी-1-64 (स्टेट बैंक के सामने) उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059 में
रहेगा।
सदस्यता शुल्कः-
सदस्यों से लिए जाने वाला सदस्यता शुल्क व चन्दोसमय-समय पर कार्यकारिणी
सभा में तय किया जाएगा और वर्तमान में यह निम्नानुसार है
अ) सदस्यता शुल्क् मात्र दस रू/- प्रत्येक सदस्य को प्रवेश के समय देना होगा।
ब) प्रत्येक सदस्य को दस रूपये प्रतिवर्ष चन्दे के रूप में नियमित रूप से जमा कराना
होगा।
धारा - 3 (क) साधारण सदस्यता
इस संस्था का साधारण सदस्य मेघ, मेघवाल, मेघवंषी, बलाई, राजबलाई, बाम्भी,
भाॅबी, बुनकर, सूत्रकार, साल्वी, ऋषि (रिखिया), कबीर पंथी, कबीर पंथी जुलाहा
(जाटा-मारू-बस्सी) (बषिष्ठ) आदि षिल्पकार जातियों से सम्बन्धित सभी व्यस्क
स्त्री पुरूष मात्र दस रूपया वार्षिक शुल्क देकर साधारण सदस्य बन सकेंगे।
(ख) कर्मठ सदस्यता
इस संस्था के उल्लेखित मेघवाल समाज तथा उसके समकक्ष समाज के व्यस्क
स्त्री पुरूष तथा उक्त वर्णित पर्यायवाची समाजो में कार्यरत पंजीकृत तथा
अपंजीकृत संस्थाओं/समितियों के पदेन सदस्य सौ रूपया वार्षिक शुल्क देकर
कर्मठ सदस्य बन सकेंगे।
(ग) संस्था सदस्यता/संस्था संम्बंधताा (अफिलियेषन)
इस संस्था की समाज की सभी पंजीकृत/अपंजीकृत संस्थायें एक हजार रुपये
वार्षिक शुल्क देकर संस्था-सदस्य बन सकेगी तथा सहयोगी संस्थायें कहलायेगी।
(घ) आजीवन सदस्य
उक्त मेघवाल समाज के ससभी अंगों (काऊन्टर पार्ट्स) के सभी व्यस्क स्त्री पुरूष
एक हजार रूपये एकमुष्त शुल्क देकर आजीवन सदस्य बन सकेंगे।
(ड़) आजीवन सदस्य
संस्था को पंजीकृत कराने वाले सभी सदस्य इस संस्था के संस्थापक सदस्य होंगे।
(च) सदस्यता पावती
उपरोक्त सभी प्रकार की सदस्यता शुल्कों की मेघवाल समाज द्वारा पावती (रसीद)
जारी की जायेगी।
(छ) सदस्यता निवृति
कोई भी सदस्यता मृत्यु, पागलपन, त्याग-पत्र स्वीकृति, सदस्यता शुल्क न देने पर
एवं महासंघ के उद्देष्यों/आदर्शो के प्रतिकूल आचरण करने पर तथा अपने साथी
सदस्य/सदस्यों पदाधिकारियों के सााि अभद्र व्यवहार करने पर सदस्यता से
वंचित किया जा सकेगा। यह निर्णय महासंघ की कार्यकारिणी अथवा कार्यकारिणी
द्वारा प्रदत्त अधिकार सम्पन्न गठित समिति ले सकेगी।
(ज) पुनर्सदस्यता प्राप्ति
त्याग पत्र देने वाले पदाधिकारी/सदस्य यदि चाहे तो पुनः सदस्यता शुल्क जमा
करके सदस्य बन सकेंगें, किन्तु महासंघ के उद्देष्यों के प्रतिकूल आचरण करने
वाले सदस्य तथा साथी सदस्यो ंके साथ अभद्र व्यवहार करने वाले सदस्य अथवा
सदस्यता से किसी कारण वंचित/निरसत किये गये सदस्य सद्आचरण के शपथ
पत्र के साथ ही सदस्यता का पुनर्याचना-पत्र दाखित करने पर महासंघ की
कार्यकारिणी द्वारा उनके पक्ष में निर्णय पर ही तथा कार्यकारिणी द्वारा प्रदत्त
अधिकार प्राप्त अनुषासन समिति को द्वारा उनका पक्ष सुनकर उनके निर्णय देने पर
ही पुनः सदस्य बन सकेंगे। इस प्रकार सदस्यता ग्रहण करने वाले सदस्यों को पुनः
सदस्यता शुल्क देना होगा। यह सदस्यता नई तारीख से मानी जायेगी
धारा - 4 कार्य कारिणी/प्रबंध समिति गठन करने की क्षमता
जिन साधारण/कर्मठ/आजीवन सदस्यों ने अपना शुल्क जमा करके पावती ले ली
है, उन्हें एक महीने के अग्रिम नोटिस पर बुलाई गई साधारण सभा में कार्यकारिणी
का चुनाव करने तथा चुनाव में खड़े होने का अधिकार प्राप्त होगा। राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र दिल्ली की प्रबन्ध समिति कालान्तर में अन्य प्रदेशो में
सदस्यता-विकसित होने पर शनैः-षनैः राष्ट्रीय स्वरूप गृहण कर लेंगी तब इसके
अध्यक्ष, महामंत्री तथा मंत्री क्रमषः राष्ट्रीय अध्यक्ष आ ैर राष्ट्रीय महामंत्री मंत्री
होंगे।
कार्य कारिणी का स्वरूपः-
संस्था की कार्यकारिणी का स्वरूप निम्नानुसार होगा।
(1) प्रधान-एक
(2) उपाध्यक्ष-एक
(3) महामंत्री-एक
(4) मंत्री-एक
(5) संगठन मंत्री-एक
(6) कोषाध्यक्ष-एक
(7) सदस्य-पांच से दस
धारा - 5 राष्ट्रीय कारिणी/प्रबंध समिति
धारा - 4 की प्रक्रिया से राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक राष्ट्रीय अध्यक्ष एक या दोे,
कार्यकारी अध्यक्ष, एक या एक से अधिक सात तक उपाध्यक्ष, दोे राष्ट्रीय महामंत्री,
चार मंत्री, एक कोषाध्यक्ष तथा अन्य ग्यारह या अधिक कार्यकारिणी सदस्य तक
होंगे, जिन सबका विधिवत् चुनाव होगा। प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के सदस्यों का
मनोनयन राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा किया जा सकेगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की
अधिकतम संख्या 31 होगी।
धारा - 6 कार्य कारिणी का कार्यकाल
मेघवाल समाज संघ की चुनी हुई कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
धारा - 7 कार्य कारिणी को अधिकार
(क) तीन वर्ष को लिए चुनी हुई कार्यकारिणी प्रत्येक वर्ष में एक राष्ट्रीय
अधिवेषन बुलायेगी जो कम से कम 21 दिन के नोटिस पर बुलाया जा
सकेगा। अधिवेषन में उद्देष्य सम्मत कार्यो पर ही चर्चा होे सकेगी।
आगामी वर्ष का कार्य निश्चित किया जायेगा तथा वर्ष की आय व्यय का
लेखा जोखा प्रस्तुत किया जायेगा।
(ख) किसी विषेष अवसर पर विषेष अधिवेषन भी कम से कम 21 दिन की पूर्व
सूचना देकर ही बुलाया जा सकेगा। अधिवेषनों में 1/3 के निश्चित
कोरम के साथ प्रस्ताव पास किये जा सकेंगे।
(ग ) कोरम को अभाव में मीटिंग स्थगित कर आधे घंटे बाद पुनः मीटिंग बुलाकर
ककोरम के अभाव में भी प्रस्ताव पारित किये जा सकेंगे।
धारा - 8 अध्यक्ष/राष्ट्रीय अध्यक्ष
(क) मेघवाल समाज संघ (रजि) की सभी सभाओं, अधिवेशनो, गोष्ठियों, कार्यशालाओं की अध्यक्षता
अध्यक्ष/राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। किसर विषय पर विवाद उत्पन्न होने की दशा में तथा गत विभाजन
के अवसर पर बराबर मत होने पर अपना कास्टिंग (निर्णायक) मत देकर निर्णय दे सकेंगें। वे राष्ट्रीय
महासंघ की सम्पूर्ण गतिविधियों पर नजर रखेंगें तथा उद्देश्यों के प्रति सदस्यों को सतत सजग करते
रहेंगे।
(ख) कार्य कारी अध्यक्ष
अध्यक्ष/राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वे सभी कार्य करेंगें जो
अध्यक्ष/राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपेक्षित है।
(ग) उपाध्यक्ष
राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यकारी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वे सभी कार्य करेंगें जो राष्ट्रीय
अध्यक्ष/कार्यकारी अध्यक्ष से अपेक्षित हैं।
(घ) महामंत्री
मेघवाल समाज संघ के कार्यकाल एवं महासंघ की सम्पूर्ण गतिविधियों का राष्ट्रीय अध्यक्ष की देखरेख
में पत्राचार करना, संगठन को सजीव रखने की पूरी जिम्मेदारी महामंत्री/राष्ट्रीय महामंत्री की
होगी। महासंघ की सहयोगी सम्बन्ध संस्थाओं से समन्वय स्थापित करने के साथ संगठन को मजबूत बनाना
भी महामंत्री/राष्ट्रीय महामंत्री की जिम्मेदारी होगी।
(ड़) मंत्री
राष्ट्रीय महामंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री को वे सब जिम्मेदारी निभानी होगी जो
महामंत्री/राष्ट्रीय महामंत्री से अपेक्षित हैं।
(च) कोषाध्यक्ष
मेघवाल समाज संघ (रजि) की सम्पूर्ण आय-व्यय, उसका लेखा-जोखा, आगामी वर्ष का तलपट बनाना आदि
कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी। महासंघ द्वारा अनुमोदित आय तथा व्यय के बाद वे अपने पास 500/-
रूपये (पांच सौ रूपये) सुरक्षित राशि रखकर शेष राशि को मेघवाल समाज संघ (रजि) (मेघवाल महासंघ)
के खाते में जमा करायेंगें। वर्ष के अन्त में महासंघ के खाते ऑडिट करके वे वार्षिक अधिवेशनों
में उपस्थित करेंगे।
(छ) रिक्त - पूर्ति
मेघवाल समाज संघ (रजि) की कार्यकारिणी में किसी भी समय पर हुई
रिक्ती को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारिणी में से ही किसी को उस पद पर
मनोनयनकर सकेंगे ताकि कार्य संचालन में कोई व्यवधान उपस्थित ना होे।
ऐसी रिक्ती पूर्ति को कार्यकारिणी मिटींग में रखकर अनुमोदित कराया जा
सकेगा।
धारा - 9 समिति/उप समिति/तदर्थ समिति तथा अनुषासन समिति
मेघवाल समाज संघ (रजि) की कार्यकारिणी किसी भी कार्य विपष के लिये एक
निर्धारित समय के लिए कोई समिति/उप समिति/तदर्थ समिति या अनुषासन
समिति कार्यकारिणी के चुने हुए सदस्यों में से गठन कर सकेगी। जिन्हें निर्धारित
कार्यकाल में अपना कार्य पूरा कर कार्यकारिणी को सौंपना होगा।
धारा - 10 कोष
मेघवाल समाज संघ (रजि) का कोष जो सदस्यता शुल्क/दान/चैरिटी शौ /स्मारिका के विज्ञापनों तथा
कालान्तर में महासंघ की चल अचल सम्पत्ति द्वारा अर्जित राशि / विदेशी अनुदान / व्यक्तिगत या
सरकारी गैर सरकारी क्षेत्रों से प्राप्त अनुदान मेघवाल समाज संघ (रजि) अथवा मेघवाल महासंघ का ही
कोष कहलायेगा जिस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री तथा कोषाध्यक्ष का नियन्त्रण
होगा।।
धारा - 11 बैंक खाता
मेघवाल समाज संघ (रजि) (मेघवाल महासंघ) का खाता उक्त धारा 10 के कोष को सुरक्षित रखने के लिए
किसी राष्ट्रीयकृत / अनु सूचित अथवा सहकारी बैंक में खाता खोला जायेगा। जिसका संचालन राष्ट्रीय
अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री तथा कोषाध्यक्ष में से कोई दो पदाधिकारी संयुक्त हस्ताक्षरों से
कर सकेंगे। खाते में मेघवाल समाज संघ (रजि) अथवा मेघवाल समाज संघ के नाम के चैक, ड्राफ्ट, पे-
ऑर्डर तथा अन्य धन जमा हो सकेंगे।
धारा - 12 अवैतनिक पदाधिकारी
मेघवाल समाज संघ (रजि) के समस्त पदाधिकारी अवैतनिक होंगे।
धारा - 13 आवष्यक प्रावधान
मेघवाल समाज संघ (रजि) की कार्यकारिणी की अपेक्षित सूची प्रत्येक वर्ष में जैसा कि सोसायटीज
रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के 21 वें की धारा 4 में निहित हैं। सोसायटी पंजीयक की आवश्यक रूप से
प्रेषित करता रहेगा।
धारा - 14 मुकदमा / अदालती कार्यवाही
मेघवाल समाज संघ (रजि) संस्था पर उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महामंत्री के द्वारा
उक्त सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा - 6 के आधीन आवश्यकता होने पर कोई व्यक्ति अथवा संस्था
मुकदमा चला सकेगी। उसी प्रकार किसी व्यक्ति एवं संस्था पर मेघवाल समाज संघ (रजि) अपने राष्ट्रीय
अध्यक्ष राष्ट्रीय महामंत्री के द्वारा मुकदमा चला सकेंगें।
धारा - 15 परिवर्तन की स्थिति में
मेघवाल समाज संघ (रजि) के उद्देश्यों, प्रयोजनों में किसी काल में परिवर्तन, परिवर्धन, विस्तारण
एवं न्यूनीकरण के लिए उक्त सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा - 12 तथा 12 (अ) के अधीन आचरण
करना महासंघ के लिए बाध्य / आवश्यक होगा।
धारा - 16 महासंघ की आय
मेघवाल समाज संघ (रजि) की सम्पूर्ण आय, स्थावर एवं जंगम सम्पत्ति महासंघ के उद्देश्यों की
पूर्ति के लिए ही प्रयोग की जा सकेगी। उसका किसी प्रकार का लाभ, वगतन आदि किसी भी वर्तमान एवं
पूर्व सदस्य को स्पष्ट अथवा अस्पष्ट रूप से नहीं मिल सकेगा। किसी व्यक्ति, पदाधिकारी तथा सदस्य
को महासंघ की किसी भी परिसम्पत्ति को अधिग्रहण करने का अधिकार नहीं होगा।
धारा - 17 विघटन
मेघवाल समाज संघ (रजि) के किसी समय विघटन के अवसर पर उक्त सोसायटी पंजीयन अधिनियम की धारा -
13-14 के आधीन ही आचरण करना होगा।
धारा - 18 सा ेसायटी पंजीयन अधिनियम की ग्राहयता
मेघवाल समाज संघ (रजि) पर सोसायटी पंजीयन अधिनियम 1860 के 21 वें जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र
दिल्ली की संघीय सीमाओं पर लागु हैं, की समस्त धारायें लागू होगीं।
धारा - 19 महासंघ का कार्यक्षेत्र
मेघवाल समाज संघ (रजि) का कार्यक्षेत्र राष्ट्रय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा संस्था के विस्तार
होने पर अन्य क्षेत्रों में होगा, मेघवाल समाज संघ (रजि) अपनी शाखायें प्रत्येक प्रदेश,
जिला/तहसील/तालुका तथा ग्राम इकाई तक खेल सकेगा तथा धारा 3 क में वर्णित मेघवाल समाज के काऊन्टर
पार्ट्स / समकक्ष समाज की कार्यरत संस्थाओं को अपने साथ सम्बद्ध कर सकेगा। सम्बद्धता शुल्क 1000
रूपये (एक हजार रूपये वार्षिक होगा)।
धारा - 20 आवष्यक प्रमाण पत्र
यह प्रमाणित किया जाता हैं कि मेघवाल समाज संघ (रजि) के नियमों उप नियमों की यह सही एवं अधिकृत
प्रति प्रस्तुत हैं।
धारा - 1 संस्था का नामः-
इस संस्था का नाम "मेघवाल समाज संघ (रजि)" होगा जो संक्षिप्त में मेघवाल
महासंघ भी कहलायेगा।
धारा - 2 संस्था का पंजीकृत कार्यालयः-
इस संस्था का प्रधान कार्यालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रहेगा जो वर्तमान
में मकान नं. जी-1-64 (स्टेट बैंक के सामने) उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059 में
रहेगा।
धारा - 3 संस्था के उद्देष्यः-
(क) इस संस्था का मुख्य उद्देष्य एक ही ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के समकक्ष समाज मेघ, मेघवाल,
मेघवंषी, बलाई, राजबलाई, बाम्भी, भॉबी, बुनकर, सूत्रकार, साल्वी, ऋषि (रिखिया), कबीर पंथी, कबीर
पंथी जुलाहा (जाटा-मारू-बस्सी) (बषिष्ठ) आदि विभिन्न नामों से ख्यात मेघवाल समाज को एक सूत्र
में संजोना है तथा उनमें परस्पर भावनात्मक एवं संघात्मक एकता स्थापित करना है। उक्त सभी
पर्यायवाची समाज मिलकर संवैधानिक भाषा में ‘मेघवाल समाज‘ कहलायेगा।
मेघवाल समाज कें संविधान की उक्त धारा 3 क में वर्णित समाज की समकक्ष एवं पर्यायवाची (काउन्टर
पार्टस) समाज में समन्वयित रूप से समाज की सामाजिक आर्थिक, शैक्षणिक आदि सर्वागीण उन्नति के
सामूहिक एवं सामुदायिक प्रयत्नो का प्रचार एवं प्रसार करना संस्था का प्रमुख ध्येय होगा। साथ ही
साथ केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों, देश-विदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं, संगटनों द्वारा प्रदत्त
कल्याणकारी सुविधाओं, योजनाओं और कार्यक्रमों से समाज को अवगत करा कर उसे आर्थिक एवं शैक्षणिक
उन्नति के लिए प्रोत्साहित करना होगा। जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को यथाशक्ति सहायता सहयोग
प्राप्त कराया जाएगा।
(ग) मेघवाल समाज संघ (रजि) उक्त धारा क में वर्णित सभी समकक्ष, पर्यायवाची (काउन्टर पार्टस)
सम्पूर्ण समाज का एक सार्वभौमिक वाला एक सर्वोच्च संगठन होगा जो समय-समय पर समाज में सुधारवादी,
प्रगतिशील एवं सुदृढ़ एकता के लिए दिशा निर्देशन करता रहेगा।
(घ) मेघवाल समाज संघ (रजि) समाज के व्यापक हित में सार्वजतिक विद्यालय, वाचनालय, विचार विनियम
केन्द्र, प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र, छात्रावास, तकनीकी तथा प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय स्तर तक के
प्रतिष्ठान एवं विभिन्न उद्योगों के सिखलाई केन्द्र एवं रोजगारोन्मुख शिक्षा केन्द्र खोल
सकेगा।
(ड़) यह संस्था मेघवाल समाज के सुधारकों, सन्तों, महापुरूषों, बलिदानियों इतिहास-पुरूषों , वीरों
एवं वीरांगनाओं की स्मृति को विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा स्थायी बनायेगा तथा समाजसेवियों को
प्रोत्साहित करने के लिए उनके नाम पर पदक, फलक, पुरस्कार और सम्मान (आवार्ड) प्रदान करेगी।
(च) यह संस्था मेघवाल समाज के कवियों, इतिहासकारों, कलाकारों और समाज सेवियों, को उनके द्वारा
समाज के प्रति किये गये कार्यो का मूल्यांकन कर उन्हें पुरस्कृत एवं सम्मानित करेगी।
(छ) यह संस्था मेघवाल समाज के इतिहास का पुनर्लेखन एवं परिष्करण कर उसे प्रकाशित तथा प्रचारित
करेगी।
(ज) यह संस्था निरक्षरता एवं अज्ञानता के कारण समाज में व्याप्त अंधविश्वास, मृतक भोज,
बाल-विवाह, दहेज आदि से मुक्ति दिलायेगी तथा उनकी मूलभूत समस्याओं के समाधान एवं निराकरण करने
में तत्परता दिखायेगी तथा दहेज मुक्त सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करेगी तथा करायेगी।
(झ) मेघवाल समाज संघ (रजि) अपने सामाजिक एवं संस्थागत घटकों से समन्वयित तौर से विचार विमर्श
करके प्रत्येक तीन वर्ष के लिए एक न्यूनतक कार्यक्रम बना कर उसे कार्यान्वित करेगा।
(ञ) मेघवाल समाज संघ (रजि) समाज के लब्ध एवं अप्राप्य साहित्य की खोज कर उसे प्रकाशित करायेगा
तथा करेगा।
(ट) मेघवाल समाज संघ (रजि) समाज के तथा अन्य राजपुरूषांे का समय-समय पर सम्मान समारोह आयोजित
करेगा तथा उन्हें समाज की समस्याओें से अवगत करायेगा और उसके निराकरण कराने का प्रयत्न
करेगा।
(ठ) मेघवाल समाज संघ (रजि) अच्छा जीवन जीने के लिए विधि-संज्ञानता, पर्यावरण की सुरक्षा, रहन
सहन की स्वच्छता, पेयजल तथा खाद्य पदार्थो की निर्मलता एवं पवित्रता का ज्ञान प्रचारित
करेगा।
(ड) मेघवाल समाज संघ (रजि) उक्त धारा 3 क में वर्णित समुदाय के सामाजिक शैक्षणिक एवं साहित्यिक
हितों का संवर्धन करने हुए सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक न्याय प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहेगा
तथा सरकारी और अन्य सेवाओं में लगे अपने सदस्यों का मार्गदर्शन करता रहेगा।
(ढ) संस्था की चल या अचल सम्पति से प्राप्त समस्त आय व कमाई ज्ञापन पत्र में उल्लिखित संस्था के
उद्देश्य व लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पूर्णतः प्रयोग की जायेगी और लगायी जायेगी तथा इसका कोई
भी लाभ संस्था के वर्तमान या निवर्तमान सदस्यों को या वर्तमान या निवर्तमान सदस्यों के माध्यम
से दावा करने वाले किसी एक या अधिक व्यक्तियों को भुगतान नहीं किया जायेगा या लाथ प्राप्त नहीं
करेगा या किसी प्रकार से संस्था का कोई भ सदस्य संस्था की चल या अचल सम्पति पर कोई व्यक्तिगत
दावा नहीं करेगा या इसकी सदस्यता के आधार पर किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं करेगा।